जीवन मानुष के पास ...

जीवन मानुष के पास है। मगर जन्म और मृत्यु मानुष के पास नहीं है। जन्म और मृत्यु की घटना परमात्मा ने अपने पास रखी है। मगर जीवन की बात हमें परमात्मा ने दी है, भाई जीना तुमने किस तरह है यह पसंद तुम्हारी है। देखो गन्ने में मिठास परमात्मा ने डाल दी है। मगर यह हमारी मर्जी है हमने उसकी शक्कर बनानी है, जा हमने उसकी शराब बनानी है। यह पसंद हमारी है। अंगूरों में रस परमात्मा ने डाल दिया है। अब यह हमारी मर्जी है हमने उसका ग्लूकोज बनाना है, जा हमने उसकी शराब बनानी है। यह हम पर निर्भर करता है । अंगूर नहीं कहते कि तुम ग्लूकोज बनाओ,अंगूर नहीं कहते तुम शराब बनाओ। किस तरीके से हमने अंगूरों का इस्तेमाल करना है, यह हम पर निर्भर करता है। इसी तरह से भगवान ने हमें जिंदगी दी है यह हम पर निर्भर करता है, हमने इसे अमृत बनाना है, जा हमने इसे जहर बनाना है। यह पसंद हमारी है। एक शायर ने तो इसे बड़े बा कमाल ढंग से कहा है। वह कहता है: जो जहर हलाहल है, वह ही अमृत है नादान मालूम नहीं तुझको, अंदाज हैं पीने के अगर जिंदगी जीने का ढंग आया तो जे अमृत है, अगर जीने का ढंग नहीं आया तो यही जहर है। गुरु नानक जी को जीने का ढंग था तो उन्होंने 20 रुपए का लंगर लगा दिया । तो जो कोई भूखा ना रहे। यह वही 20 रुपए की बरकत है, जिसकी वजह से पूरी दुनिया में लंगर चल रहे हैं। भूखों को खाना मिल रहा है। जिन्हें जिंदगी जीने का ढंग नहीं आता वह दूसरों से मुंह से भी निवाला छीनते हैं। और सिर्फ अपनी तिजोरियां भरने में लगे रहते हैं। यकीन मानिए एक दिन यही जहर बन जाएगा। ज्ञानी संत सिंह जी मसकीन

Comments

Popular posts from this blog

ਦਿਤਾ ਲਈਐ ਆਪਣਾ ਅਣਿਦਿਤਾ ...

ਬਿਨਾ ਸੰਤੋਖ ਨਹੀ ਕੋਊ ਰਾਜੈ ...

ਕੇ ਸਿਫਲਾ ਖੁਦਾਬੰਦ ਹਸਤੀ ਮਵਾਸ਼ ...